कानपुर नगर में सीएम ग्रिड योजना के तहत बन रही सड़कों की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल उठ रहा है। सांसद की शिकायत और आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के बाद अब नगर निगम के अफसरों की कार्यशैली कटघरे में है। निर्माण में मानकों की अनदेखी, धीमी गति और कंपनियों की मनमानी से सरकार की साख पर भी असर पड़ रहा है। अब पूरी योजना की उच्च स्तरीय जांच की मांग तेज़ हो गई है।
आपको बता दे की कानपुर नगर में करीब 165 करोड़ की लागत से शुरू की गई सीएम ग्रिड यानी मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट योजना अब सवालों के घेरे में है। सांसद द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान लोगों ने खुलकर आरोप लगाए कि कंपनियां घटिया और मानकविहीन निर्माण कर रही हैं। स्वरूप नगर थाना मोड़ से मटका तिराहा होते हुए ग्वालिन चौराहे तक एस.एस. इंफाजोन प्राइवेट लिमिटेड के निर्माण कार्य को लेकर भी भारी विरोध जताया गया है। वही इसी बीच 29 अक्टूबर 2025 को लखनऊ से आई यूरिडा टीम की जांच में भी खराब गुणवत्ता की पुष्टि हुई… और कंपनी पर जुर्माना भी लगाया गया। दूसरी ओर, आईआईटी कानपुर की जांच रिपोर्ट में भी स्पष्ट तौर पर लिखा गया—work is not up to the mark… यानी काम संतोषजनक नहीं है। इसके बावजूद, सीएम ग्रिड योजना के नोडल अधिकारी दिवाकर भास्कर द्वारा संबंधित कंपनियों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया, जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि न तो अधिकारियों ने समय पर निरीक्षण किया और न ही मानकों के अनुसार काम की मॉनिटरिंग की गई। धीमी गति और लापरवाही से जनता परेशान है। वही सांसद रमेश अवस्थी ने सीएम योगी को पत्र लिखते हुए जनहित मे यह मांग उठाई है कि किसी बाहरी एजेंसी से सभी निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों व कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।


