अपर मुख्य सचिव अमित कुमार घोष ने फ्राइडे को कानपुर मंडल की स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं में सामने आई खामियों पर गंभीर नाराज़गी जताई और स्पष्ट निर्देश दिए कि तीन माह के अंदर सभी कमियों का निस्तारण किया जाए.
खास तौर पर हिदायत दी कि बाहर से दवाएं लिखना बंद कर दें. उन्होंने बताया कि शासन की तरफ से छह जनपदों में 57 टीमें गठित की गई थीं. जिन्होंने गवर्नमेंट हॉस्पिटल की हेल्थ सुविधाओं का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपी है.
रिपोर्ट में सामने आई बड़ी कमियां
जांच टीमों ने पाया कि कई गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मेडिसिन की उपलब्धता बेहद कम है. इस पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अब यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक हॉस्पिटल में 314 प्रकार की दवाएं अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहेंगी. वहीं अपर मुख्य सचिव अमित कुमार घोष ने कहा कि जब गवर्नमेंट सभी जरूरी मेडिसिन उपलब्ध करा रही है, इसके बावजूद पेशेंट को बाहर की दवाएं लिखना पूरी तरह गलत है. उन्होंने निर्देश दिए कि डीएम स्वयं हॉस्पिटल में जाकर निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई डॉक्टर पेशेंट को बाहर की दवा न लिखे.
टेक्नीशियन की कमी जल्द होगी पूरी
समीक्षा के दौरान पाया गया कि कई जगहों पर डेंटल एक्सपर्ट, टेक्नीशियन समेत अन्य रोगों के एक्सपर्ट डॉक्टर्स नही हैं. इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि मानक के अनुसार सभी पद जल्द भरे जाएंगे, ताकि पेशेंट को सभी सेवाएं एक ही हॉस्पिटल में उपलब्ध हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि जहां-जहां भवन गलत स्थान पर बने हैं या सक्रिय नही हैं. वह रिडेवलपमेंट किए जाएंगे. उदाहरण के रूप में उन्होंने हुमायूं बाग स्थित यूपीएससी भवन की चर्चा की. जो गलत जगह बना है.
रिकॉर्ड व्यवस्था में लापरवाही
टीमों ने यह भी बताया कि अधिकांश हॉस्पिटल में ओपीडी रजिस्टर तो मिले, लेकिन रेफर रजिस्टर नहीं था. इस पर डॉ. घोष ने निर्देश दिए कि सभी हॉस्पिटल रिकॉर्ड प्रणाली में पारदर्शिता लाएं और पेशेंट के रेफर मामलों का पूरा डेटा सुरक्षित रखें. मुख्य सचिव ने बताया कि पूरे मंडल में 7173 पेशेंट से फीडबैक लिया गया, जिनमें से 99 प्रतिशत लोगों ने हॉस्पिटल की सेवाओं पर संतुष्टि जताई. हालांकि, एक परसेंट पेशेंट ने शिकायत की रिपोर्ट आने में देरी होती है, लैब असिस्टेंट ठीक से बात नहीं करते और सफाई की हालत खराब है..


