कन्नौज में इस बार बारिश किसी आपदा से कम नहीं साबित हुई है। पहले गंगा और काली नदी की बाढ़ ने किसानों को बर्बाद किया, उसके बाद सितंबर माह के आखिरी दिनों में हुई अति वृष्टि ने किसानों की बोई हुई धान की फसल को जमींदोज कर दिया और बुवाई के बाद खेतों में भरे पानी ने आलू बीज सड़ा दिया। परेशान किसानों के समझ में नहीं आ रहा है की आखिर इन सब मुसीबतों से राहत कैसे मिलेगी।
वीओ – आलू बेल्ट के मुख्य जिलों में शुमार कन्नौज में इस बार आलू के बाजार भाव ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। हाल ये है की डिमांड और भाव न मिलने के कारण 40 फीसदी आलू अभी भी कोल्ड स्टोरेज में भंडारित है। परेशान आलू किसानों ने कर्ज लेकर धान की फसल
लगायी, लेकिन अति वृष्टि ने तैयार धान की फसल को गिरा दिया। साथ ही कोल्ड स्टोरेज से बीज निकाल आलू की कच्ची फसल बोने वाले किसान भी अति वृष्टि से बर्बाद हो गये। उनके बीज लगे खेतों में पानी भर गया और सारा बीज सड़ गया। कन्नौज के हजारों किसानों ने सम्मान निधि और कुछ कर्जा लेकर आलू की बुवाई की थी, पानी भरने से आलू बीज सड़ने के बाद अब वह दोबारा फसल की बुवाई करने में असमर्थ हैं। बर्बाद और परेशान किसान अब सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद की आस लगाये हैं।
बाइट – किसान कन्नौज