जिस घाटों पर हर साल भक्ति गीतों की गूंज और रौनक रहती थी, वहां इस बार सन्नाटा छा गया। छठ महापर्व पर जिले में बारिश बनी मुसीबत।

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छठ महापर्व का माहौल श्रद्धा, भक्ति और उत्साह से भरा हुआ था। सांध्य अर्घ्य के समय घाट की अद्भुत सजावट, दूधिया लाइटिंग और रंग-बिरंगी झालरों से सजे टेंट देखकर किसी को यह अंदाज़ा तक नहीं था कि कुछ ही देर बाद मौसम करवट ले लेगा।
हजारों श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति की झलक और मन में उमंग थी हर कोई सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में जुटा था। लेकिन जैसे ही आसमान से बरसने लगी तेज बारिश, माहौल पूरी तरह बदल गया।
लोग बारिश से बचने के लिए इधर-उधर दौड़ पड़े, बच्चे और महिलाएं टेंट के नीचे पनाह ढूंढने लगीं। तेज हवाओं और लगातार बारिश ने घाट की सजावट और व्यवस्थाओं को बुरी तरह बिखेर दिया। टेंट, लाइटिंग, मंच और सजावट के सामान हवा और पानी के साथ बिखरते चले गए।
थाना चोपन पुलिस और पीएसी के जवानों ने मौके पर मोर्चा संभाला ताकि किसी तरह की अफरा-तफरी या हादसा न हो।
एसपी सोनभद्र खुद मौके पर पहुंचे और व्रतियों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाने के लिए पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई।
हालात इतने बिगड़ गए कि जिस घाट पर हर साल भक्ति गीतों की गूंज और रौनक रहती थी, वहां इस बार सन्नाटा छा गया।
भक्ति गीत-संगीत के कार्यक्रम भी रुक गए और मंचों पर पानी भर गया। अब घाट पर गिने-चुने लोग ही नजर आए, बाकी सभी बारिश के कहर से बचने के लिए लौट गए।
पिछले दो दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब छठ महापर्व के दौरान बे-मौसम बारिश ने इस तरह आस्था की परीक्षा ली हो। और ऐसा महज चोपन में नहीं बल्कि जिले के ओबरा, घोरावल व डाला नगर समेत अन्य ग्रामीण इलाकों में भी देखने को मिले।
और इस हकीकत को जानने के लिए Zee मीडिया ने खुद मौके पर पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट के ज़रिए पूरी स्थिति देखी। जहां कभी श्रद्धा की लहरें उमड़ती थीं, वहां अब बिखरी सजावट और भीगे टेंट दिख रहे हैं। फिलहाल बारिश थम चुकी है, लेकिन पुलिस की चौकसी अब भी जारी है। प्रशासन हर पल हालात पर नजर रखे हुए है ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आस्था दोनों सुरक्षित रहें।

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