कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए WHO ने बनाया नया समूह, जानिए पहली रिपोर्ट में क्या-क्या जानकारियां सामने आईं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को एक नए सलाहकार समूह का गठन किया है, जो चीन जाकर कोरोना महामारी फैलाने वाले SARS-CoV-2 की उत्पत्ति की जांच करेगा।यह दूसरी बार है, जब WHO कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए टीम गठित कर रहा है।अब तक अंतरराष्ट्रीय टीमें दो बार चीन का दौरा कर चुकी हैं, लेकिन कोरोना का स्त्रोत और इसकी शुरुआत का रहस्य सुलझ नहीं पाया है।आइये, पूरी खबर जानते हैं।जानकारी

टीमों ने इन जगहों का किया था दौरा

WHO के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल जनवरी में चीन का दौरा किया था। इस दौरान यह प्रतिनिधिमंल वुहान तियान्हे एयरपोर्ट, झोंगनान अस्पताल और चीन के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की BSL3 लैबोरेट्री में गया था।एक साल बाद एक और टीम ने वुहान का दौरा किया था, जहां सबसे पहले कोरोना का मामला दर्ज किया गया था। चार हफ्ते के दौरे के बाद इस टीम ने इस साल मार्च में अपनी रिपोर्ट WHO को सौंपी थी।कोरोना वायरस

उत्पत्ति को लेकर नहीं मिल पाई ठोस जानकारी

इस टीम की रिपोर्ट में वायरस की उत्पत्ति को लेकर ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी।WHO प्रमुख डॉ टेड्रोस अधेनोम ग्रैबिएसिस ने कहा कि था कि टीम को जांच के दौरान महामारी के शुरुआती दिनों के आंकड़े नहीं मिल पाए थे और लैब ऑडिट की जरूरत है।चीन को भी इसके लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था कि उसने पर्याप्त आंकड़े मुहैया नहीं करवाए। दूसरी तरफ चीन ने इन आरोपों का खंडन किया था।कोरोना की शुरुआत

पहली रिपोर्ट में क्या-क्या जानकारियां सामने आईं?

पहली रिपोर्ट में कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर निम्नलिखित अनुमान लगाए गए थे-यह वायरस सीधा जानवरों से इंसानों में आया हो सकता है।जानवरों से यह वायरस किसी माध्यम या कोल्ड फूड प्रोडक्ट्स के जरिये इंसानों तक पहुंचा हो सकता है।यह लैब से लीक हुआ हो सकता है। हालांकि, इसकी संभावना सबसे कम है।WHO ने इनमें से किसी भी अनुमान को खारिज नहीं किया था बल्कि और शोध की जरूरत बताई थी।WHO

नया सलाहकार समूह क्या पता लगाएगा?

WHO का कहना है कि वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के उन रिपोर्ट्स की जांच करना जरूरी है, जिसमें बताया गया था कि चीन 2019 में वुहान के नागरिकों के एंटीबॉडी टेस्ट कर रहा था।इसके अलावा चीन में कोरोना के बिल्कुल शुरुआती मामलों खासकर दिसंबर, 2019 के पहले के, ब्लड सैंपल, वुहान के अस्पतालों, लैबोरेट्रीज और शवगृहों के पुराने आंकड़ों की जांच की जाएगी।WHO के एक अधिकारी ने इस दिशा में यह आखिरी जांच बताई है।SAGO

समूह में भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल

सलाहकार समूह में दुनियाभर के 26 विशेषज्ञों को शामिल किया गया है और इसे साइंटिफिक एडवायजरी ग्रुप ऑन ऑरिजिन ऑफ नोवेल पेथोजेन्स (SAGO) नाम दिया गया है। इसमें डॉ मारियन कूपमान्स को शामिल किया गया है। ये पहले ग्रुप में भी शामिल थे।डॉ रमन गंगाखेडकर इस समूह में एकमात्र वैज्ञानिक हैं। पद्मश्री सम्मान प्राप्त डॉ गंगाखेडकर पिछले साल भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महामारी विभाग के प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे।
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