मनीष गुप्‍ता डेथ केस : सीबीआई से पहले एसआईटी कर सकती है खुलासा

-कानपुर से आई एसआईटी टीम तीन दिन से गोरखपुर में कर रही मनीष हत्याकांड की जांच

गोरखपुर। कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच में एसआईटी को होटल के कमरे में मिले खून के धब्बे से यह तय हो गया है कि कुछ ऐसा हुआ था जिसे महज हादसा नहीं कहा जा सकता है। यही वजह है कि आरोपित पुलिसकर्मियों की तलाश को एसआईटी ने भी अपनी हरी झंडी दे दी है।उधर, क्राइम ब्रांच सहित चार टीमें मुकदमे के बाद से ही फरार चल रहे इंस्पेक्टर जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्र तथा सब इंस्पेक्टर विजय यादव की तलाश में छापेमारी कर रही है। इसके अलावा जिन तीन और पुलिस कर्मियों के नाम सामने आ रहे हैं उन्हें भी पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच तलाश रही है। हालांकि वह भी मोबाइल बंद कर गायब हैं। एसआईटी अभी इस पर कुछ नहीं बोल रही है।

मुख्यमंत्री के आदेश पर बनाई गई कानपुर पुलिस की एसआईटी ने शनिवार से मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच शुरू कर दी है। टीम ने जांच से जुड़ी फाइल अपने कब्जे में लेने के बाद होटल में करीब सात घंटे तक पड़ताल की। सर्विलांस की मदद से इंस्पेक्टर जेएन सिंह की लोकेशन को खंगालने की कोशिश की। उनकी तलाश में एक टीम लखनऊ रवाना हुई। अमेठी के मूल रूप से रहने वाले जेएन सिंह का लखनऊ के चिनहट इलाके में भी मकान है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक लखनऊ के मकान के साथ ही अमेठी के घर पर भी टीम ने जेएन सिंह की तलाश की। बताया जा रहा है कि लखनऊ के घर पर तो कोई नहीं मिला पर अमेठी में मिले परिवार के लोगों से टीम ने जेएन सिंह के बारे में पूछताछ की। वहीं दूसरी तरफ एक टीम बलिया और एक गाजीपुर की तरफ भी गई है। विजय यादव गाजीपुर तो अक्षय मिश्र बलिया के रहने वाले बताए जा रहे हैं। इंस्पेक्टर जेएन सिंह और उनके घर के लोगों और परिचितों का मोबाइल सर्विलांस पर रखा गया है। आरोपी इंस्पेक्टर के घर पहुंची गोरखपुर क्राइम ब्रांच

अमेठी जिले के मुसाफिरखाना कोतवाल क्षेत्र के अढनपुर निवासी इंस्पेक्टर जेएन सिंह के घर देर रात गोरखपुर पुलिस पहुंची। उनके साथ मुसाफिरखाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक परशुराम ओझा भी थे। हालांकि इस दौरान जेएन सिंह अपने घर पर नहीं मिले। क्राइम ब्रांच टीम ने इंस्पेक्टर के परिवार से पूछताछ की है। घरवालों ने बताया कि वे अभी तक घर नहीं आए हैं। उनसे कब आखिरी बात हुई है इसके बारे में भी पुलिसवालों ने जानकारी ली और कुछ नम्बर भी जुटाए।———–सर्विलांस की तकनीक में खुद माहिर है इंस्पेक्टर जेएन सिंह

इंस्पेक्टर जेएन सिंह को पकड़ना इतना आसान नहीं है, यह क्राइम ब्रांच और अफसरों को भी पता है। इसकी वजह यह है कि जेएन सिंह खुद सविलांस तकनीक के माहिर हैं। उन्हें पता है कि किस गलती से उनकी लोकेशन ट्रेस की जा सकती है। गुरुवार की आधी रात तक तो जेएन सिंह को पता था कि उनका कुछ नहीं होगा। जब दबाव बनना शुरू हुआ और लगा कि गिरफ्तारी की जा सकती है तो उसके बाद से ही जेएन सिंह ने मोबाइल बंद कर दिया। वाट्सएप पर जेएन सिंह का गुरुवार को रात 11.24 तक अन्तिम लोकेशन है।

यूपी 32 नम्बर की काले रंग की स्कार्पियो से 28 सितम्बर की रात में जेएन सिंह गोरखपुर से भागा था। चिनहट इलाके में वह रात में रुका था और अगले दिन किसी दूसरी गाड़ी से निकल गया। काली स्कार्पियो कोई और लेकर चला गया। यही वजह है कि गोरखपुर क्राइम ब्रांच लखनऊ और इर्द-गिर्द ही जेएन सिंह की तलाश कर रही है। दरअसल, 28 की दोपहर में उसे सस्पेंड किया गया था। सस्पेंड होने के बाद देर शाम तक उसे अंदाजा हो गया था कि केस भी दर्ज किया जा सकता है।
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