यूपी-बिहार में वायरल बुखार की चपेट में मासूम बच्चे, हर रोज मौत के बढ़ते आंकड़ों से स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप

फाइल फोटो

पटना । कोरोना की भयावहता पहले से ही हमारे देश में व्याप्त है, अब वायरल बुखार का कहर शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों से बच्चों में वायरल बुखार के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। यूपी में जहां 100 से ज्यादा बच्चों की अब तक रहस्यमय कहे जाने वाले बुखार से मौत हो चुकी है, वहीं बिहार में भी हाल बहुत बुरा है।

हालांकि यूपी-बिहार दोनों राज्यों ने शुरुआती जांच में बुखार की वजह मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन को बताया जा रहा है। अधिकतर बीमार बच्चों में सर्दी, खांसी, बुखार और सांस फूलने के लक्षण देखने को मिल रहे है। डॉक्टरों के अनुसार, ज्यादा दिन तक इन सभी लक्षणों के रहने से संक्रमण बच्चों के सीने तक पहुंच जाता है, जिससे निमोनिया का खतरा भी हो सकता है। कई लोग इसे कोरोना के तीसरी लहर और चमकी बुखार से जोड़कर भी देख रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ अभी किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। 

यूपी-बिहार में वायरल बुखार का जानलेवा असर

उत्तर प्रदेश में वायरल बुखार बच्चों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है। वायरल की चपेट में आने से राज्य में अबतक 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गयी है। इसके अलावा सोमवार 6 सितंबर को यूपी से सटे बिहार के सारण जिले में 3 और गोपालगंज में 1 बच्चे की मौत हो गयी। मौत का कारण निमोनिया और डेंगू बताया जा रहा है।

हर रोज मौत के बढ़ते आंकड़ों से स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप

बच्चों में हर रोज बढ़ते मौत के आंकड़ों से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। इसी बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बच्चों में वायरल बुखार के लक्षण पाए जाने पर चार तरह के टेस्ट करने का सुझाव दिया। सुझाए जांचों में डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस शामिल हैं, ताकि इन जांचों के जरिए सही कारण का पताया लगाया जा सके और जरूरी इलाज दी जा सके। 

यूपी और बिहार के अस्पतालों में बच्चों के वार्ड फुल

लगातार बच्चों में वायरल संक्रमण बढ़ने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर साफ असर देखने को मिल रहा है। पटना के चार बड़े अस्पतालों में बच्चों के कुल 467 बेड है, जिसमें अधिकतर पर पहले से मरीज हैं। वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच में भी गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, सीवान और अन्य सटे जिले से लगातार बीमार बच्चों को भर्ती कराया जा रहा है। सभी में मिलते-जुलते लक्षण हैं। समय रहते पर्याप्त बेड की व्यवस्था नहीं की गई तो इसका खामियाजा मासूम बच्चों का भुगतना पड़ सकता है।

बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज (PMCH) में वायरल फीवर से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं अब इसकी चपेट में वयस्क भी आने लगे हैं। 

पीएमसीएच में बुखार से तड़पते अपने को देखकर बिलखते परिजनों को देखकर किसी का भी दिल पसीज जायेगा, हालांकि डॉक्टरों का रवैया जरूर असंवेदनशील नजर आ रहा है। मीडिया में आ रही रिपोर्टों के मुताबिक शिशु वार्ड में भर्ती बच्चों को समय से देखने के लिए डॉक्टर नहीं आ रहे। ऐसा तब है जबकि शिशु वार्ड में बिस्तरों से कहीं ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। बिहार की राजधानी के सभी बड़े अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए बेड खाली नहीं हैं। पटना के पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस और एम्स में बच्चों के वार्ड के सारे ​बेड फुल हो चुके हैं। परिजन अपने मां-बाप को वापस ले जाने को मजबूर हैं, या फिर प्राइवेट अस्पतालों की शरण ले रहे हैं। वहां भी यह भरोसा नहीं है कि उनके बच्चों की जान बच पायेगी या नहीं।

गौरतलब है कि एनएमसीएच में बच्चा वार्ड में कुल बेडों की संख्या 84 है, मगर अचानक बढ़े मरीजों की तादाद के बाद बेडों से कहीं ज्यादा बच्चे एडमिट हैं। आलम यह है कि एक एक बिस्तर पर दो-दो बच्चों को रखा गया है। हालांकि कोरोना की भयावहता के बीच परिजन इस बात से भी परेशान हैं कि कहीं वायरल के इलाज के चक्कर में उनके बच्चे किसी अन्य बीमारी की गिरफ्त में न आ जायें। वायरल पीड़ित बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर बच्चों को निमोनिया, बुखार, खांसी, सर्दी है, जो इंफ्लेनजा के लक्षण हैं।

बच्चों में फैलती बीमारी को लेकर विपक्ष ने केंद्र और राज्य सरकार को घेरा

बिहार में वायरल बुखार हर साल छोटे बच्चों पर कहर बरपाता है। इस मद्दे पर नीतीश सरकार हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहती है। मीडिया से हुई बातचीत में बिहार के बलरामपुर सीट से भाकपा माले (सीपीआईएमएल) के विधायक महबूब आलम कहते हैं, ‘सरकार को सवालों के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया। राज्य और केन्द्र सरकार स्वास्थ्य मोर्चे पर पूरी तहर से विफल रही। सूबे में बेड की कमी के बावजूद कोई व्यवस्था नहीं की जा रही। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को इस्तीफा दे देना चाहिए। कोरोना के पहले और दूसरी लहर के दौरान बिहार में हजारों लोगों की मौत हो गयी और अब बच्चों का ठीक उपचार सरकार नहीं कर पा रही है यह शर्मनाक है।

बिहार के मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से बयान आया है, ‘आम जनता की पीड़ा से हमेशा की तरह बेपरवाह, बेफिक्र नीतीश सरकार अपने निकम्मेपन की नींद खुद सो रही है और मासूम बच्चों को मौत की नींद सुला रही है! एक्यूट ब्रोंकाइटिस से हज़ारों बच्चे राज्यभर में बीमार! सारण, भागलपुर, पटना गोपालगंज समेत कई जिलों में हालत बद से बदतर! पर राज्य में हड़कंप के बजाय सुगबुगाहट तक नहीं! सरकार सच छुपाने में जुटी! कोरोना के दूसरे लहर जैसे राज्य में हालात!’
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