इन चीनी एप्स पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की है जरूरत

धोखाधड़ी करके भूमि से लेकर आर्थिक क्षेत्र तक विस्तार करने की चीन की आदत रही है। चीन की कंपनियां भी अब इसी नीति पर काम करती दिख रही हैं। चाइनीज एप्स कंपनियों की धोखाधड़ी का एक नया मामला सामने आया है, जो कि वर्ष 2020 में बैन होने के बावजूद पहचान छिपाकर आर्थिक क्षेत्र में अपना विस्तार कर रही हैं।चाइनीज एप्स कंपनियों का ये रवैया भारत सरकार पर एक धूल झोंकने का प्रयास प्रतीत होता है। ऐसे में आवश्यक है कि जिस तरह से भारत सरकार ने नए आईटी नियमों के तहत अमेरिकी बिग टेक कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की थी, कुछ वैसी ही कार्रवाई अब इन धोखेबाज चाइनीज एप्स कंपनियों के विरुद्ध भी की जाए।

चीनी कंपनियों को पता है कि उनके आर्थिक विस्तार के लिए कोई सर्वेश्रेष्ठ बाजार है, तो वो भारत ही है। चीन भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश भी करता रहता है, यही कारण है कि भारत सरकार पिछले एक वर्ष में लगभग 250 से ज्यादा चाइनीज एप्स को बैन कर चुकी है। ऐसे में अब इन चीनी एप्लिकेशंस ने भारत सरकार एवं नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करके आर्थिक विस्तार करने की नीति अपनाई है। इस मामले में इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि ये कंपनियां पिछले साल की अपेक्षा अपने व्यापार को भारत में बड़ा विस्तार दे चुकी हैं, जबकि चाइनीज एप्स होने के कारण सुरक्षा के कारण इन पर बैन लगा था।खबरों के अनुसार भारत में टॉप 60 में से करीब 8 चीन के एप्लिकेशंस हैं, जोकि धोखाधड़ी करके अपनी पहचान छिपाती हैं। इन्होंने इंटरनेट पर अपने बारे में बेहद ही कम जानकारी ही है, जिसके चलते लोग भ्रमित होकर इन्हें अपने स्मार्टफोन्स में इंस्टॉल कर लेते हैं। पिछले वर्ष जब ये चाइनीज एप्स बैन हुए थे, तो इनके भारत मे इनके करीब 96 मिलियन यूजर्स थे, किन्तु अब पिछले 13 महीनों में इनके यूजर्स का आंकड़ा 115 मिलियन का हो चुका है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष भारत सरकार ने आईटी एक्ट की धारा 67 (ए) के अंतर्गत 267 चाइनीज मोबाइल एप्स को बैन किया था, लेकिन इनमें से अधिकतर ने अपनी चाइनीज पहचान को छिपाकर भारत में पुनः व्यापार शुरु कर दिया है। 

वहीं, रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि कैसे इन कंपनियों ने अपना नाम एवं पहचान बदलकर भारत में लिस्टिंग कराई है। ये सभी कंपनियां मीडिया एवं एंटरटेनमेंट के अंतर्गत आती हैं। इस मामले में विशेषज्ञ बताते हैं कि मीडिया एवं एंटरटेनमेंट कैटेगरी में ऐप्स को सर्वाधिक लाभ होता है क्योंकि कि वो बहुत तेजी से काफी यूजर्स तक पहुंच जाते हैं।

वहीं, चाइनीज एप्स तो दो चार महीनों में ही 10 मिलियन यूजर्स तक पहुंच गए, जिसमें सबसे तेजी से PlayIt  ऐप ने बढ़त प्राप्त की है। ये यूजर्स को पाइरेटेड फिल्में और वेब-सीरीज डाउनलोड करने की सहूलियतें भी देता है, जिसके कारण ये तेजी से लोकप्रिय भी हुआ है।

केवल PlayIt  नहीं अपितु ऐसे अनेकों एप्लिकेशंस हैं जोकि भारत में अपनी चीनी पहचान छिपाकर धड़ल्ले से न केवल अपना विस्तार कर रहे हैं, अपितु भारतीय कानूनों का उल्लंघन करने के साथ ही भारत सरकार एवं नागरिकों को धोखा दे रही हैं।  इनमें mAst: Music Status, Noizz, Mivi, Resso, Tiki, Shareme, Zili चाइनीज एप्स के नाम भी शामिल हैं। वहीं इस मामले में सरकारी अधिकारी ने बताया कि चाइनीज एप्स पर तभी एक्शन लिया जाता है जब सिक्योरिटी एजेंसी इनकी फंक्शनिंग पर रेड फ्लैग दिखाती है। 

स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर अभी ज्यादा कुछ बोलने से बच रही है, किंतु ये सत्य है कि मोदी सरकार की आंखों में चीनी पहचान छिपाकर चाइनीज बैकग्राउंड वाले ये एप्स धूल झोंक रहे हैं, जिसके चलते अब इन सभी के विरुद्ध डिजिटल स्ट्राइक 2.0 करने की सख्त आवश्यकता है। उचित यही होगा कि नए आईटी नियमों के बाद भारत सरकार ने जो सख्ती अमेरिकी बिग टेक कंपनियों के विरुद्ध दिखाई थी, कुछ वैसा ही रुख अब इन धोखेबाज चीनी कंपनियों के विरुद्ध भी दिखाया जाए।
The post इन चीनी एप्स पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की है जरूरत appeared first on Dainik Bhaskar | Uttar Pradesh News, UP Dainikbhaskar.

Related Articles

Back to top button