चक दे इंडिया : भारतीय छोरियों की जीत पर खुशी के आंसू बहाता कौन है वह ‘शाहरुख खान’?

चार साल पहले जब सोर्ड मारजेन ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभाली थी, तब हालात जुदा थे। कई सीनियर प्‍लेयर्स रिटायर हो रहे थे। टीम को फिर से खड़ा करने की जरूरत थी और मारजेन ने यह काम बखूबी किया। आज तोक्‍यो ओलिंपिक में ऑस्‍ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराने पर हमें जो खुशी है, उसकी एक बड़ी वजह मारजेन हैं। मारजेन से इस टीम को संवारा और तराशा है। आज भारत की महिला हॉकी टीम दुनिया के सबसे बड़े खेलमंच पर अगर यूं खेल पा रही है तो मारजेन को उसके लिए शुक्रिया बनता है।
टीम के सोचने का तरीका ही बदलकर रख दिया
मारजेन ने खुद 10 साल तक फील्‍ड हॉकी खेली है। उन्‍होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के अलावा पुरुष टीम को भी ट्रेन किया है। जब उन्हें 2017 में भारतीय महिला टीम का कोच बनाया गया तो उनके लिए यह एक चुनौती थी। मारजेन मोटिवेशनल स्‍पीकर भी हैं तो लोगों में जोश फूंकना तो उन्‍हें बखूबी आता है मगर स्किल्‍स का क्‍या… ऐसे में मारजेन ने एक प्‍लान तैयार किया।
सबसे अहम था खिलाड़‍ियों का माइंडसेट बदलना। काफी कुछ ‘चक दे इंडिया’ फिल्‍म में शाहरुख खान के किरदार ‘कबीर खान’ की तरह। आज की जीत के बाद मारजेन को असल जिंदगी का कबीर खान कहा जा रहा है। मारजेन चाहते थे कि लड़कियां मैच में किसी भी वक्‍त कमजोर ना पड़ें। ऐसा होने में वक्‍त जरूर लगा मगर नतीजा हमारे आपके सामने है।
रियल लाइफ का ‘कबीर खान’
Taking a team which didn’t win a single game in Rio 2016 to beating Australia to reach Semis in Tokyo 2020, take a bow Sjoerd Marijne. Applaud this man, award this man. The Real life Kabir Khan. #Hockey pic.twitter.com/pCFoy6AD9g— Satyam Dwivedi (@DocDwivedi) August 2, 2021
जीत के बाद मारजेन की आंखों में आंसू
#SjoerdMarijne hey coach this is for you , you are true indian hero 1.3 billion people are singing this song right now @SjoerdMarijne we all love u very much pic.twitter.com/6DCgdXRkZY— Harsh (@Harsh38752294) August 2, 2021
सोर्ड मारजेन को बाकी हॉकी कोचेज से जो बात अलग करती है, वह यह कि उनका जोर पिच पर लीडर्स की मौजूदगी पर रहता है। मारजेन के बारे में गुरजीत कौर ने ओलिंपिक डॉट कॉम से कहा, “हर कोच का नेचर और स्‍टाइल अलग-अलग होता है। वह खिलाड़ियों के साथ अलग ढंग से काम करते हैं। वह चाहते हैं कि हम अपनी परेशानियों का हल खुद खोजें। हां, वह हमेशा पिच पर मदद को रहते हैं मगर सोर्ड के साथ रास्‍ते ढूंढने का जिम्‍मा हमारा है।” मारजेन का यह तरीका भारतीय टीम के खासा काम आया है।

…धीरे-धीरे दिखने लगा मारजेन का असर
टीम के माइडंसेट, गेम को लेकर एटिट्यूड में मारजेन की झलक अब साफ दिखाई देती है। उनके कोच बनने के बाद से भारतीय टीम के प्रदर्शन में खासा सुधार हुआ है। फिर चाहे वह पिछली बार ओलिंपिक चैम्पियन ग्रेट ब्रिटेन को उनके घर में हराना हो या वर्ल्‍ड कप में ब्रॉन्‍ज जीतने वाले स्‍पेन को चुनौती देना, भारतीय टीम चुनौतियों से घबराना भूल गई। मारजेन की छाप पिछले साल ओलिंपिक क्‍वालिफिकेशन की खातिर हुए मुकाबलों में भी दिखी। पहले मैच में भारतीय टीम ने अमेरिकन मिडफील्‍ड को धता बताया और दूसरे में उसके डिफेंस के आगे तगड़ी चुनौती थी। मारजेन मानते हैं कि टीम ने शानदार खेल दिखाया था।

ओलिंपिक के लिए क्‍या सोचा था?
ओलिंपिक खेलों की शुरुआत से पहले मारजेन ने कहा था, “दो-तीन साल पहले टीम आमतौर पर हार मान लेती थी लेकिन अब वे एक-दूसरे से बात करते हैं और मैच को पूरी तरह बदल देते हैं और ऐसा इसलिए हो पाया है क्‍योंकि उनकी मेंटल हेल्‍थ सुधरी है।” इसी मेंटल टफनेस के दमपर मारजेन टीम को ओलिंपिक के सेमीफाइनल तक ले आए हैं। उन्‍होंने कहा था, “हम जितना एक-दूसरे के साथ रहेंगे, उतना बेहतर।”
 

‘घर आने में फिर देर होगी’
Sorry family , I coming again later pic.twitter.com/h4uUTqx11F— Sjoerd Marijne (@SjoerdMarijne) August 2, 2021
मारजेन को द्रोणाचार्य अवार्ड देने की होने लगी डिमांड
Please, please nominate Sjoerd Marijne for the Dronacharya Award – what he has done with this team is unbelievable pic.twitter.com/wV4KzeOcoV— Aniket Mishra (@aniketmishra299) August 2, 2021

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