बसपा की रणनीति पर सवाल खड़े कर सुखदेव राजभर ने लिया राजनीति से संन्यास

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बहुजन समाज पार्टी ने एक तरह से अपनी रणनीति तय कर ली है। पार्टी अपनी पुरानी रणनीति की ही रिमॉडलिंग कर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। यानि सोशल इंजीनियरिंग के तहत ब्राह्मण और दलित वोटबैंक को अपने पाले में करने की रणनीति। इसके तहत पार्टी द्वारा पिछले दिनों प्रदेश भर में बुद्धिजीवी सम्मेलन कराए जा चुके हैं। हालांकि इससे पार्टी के पुराने स्तंभ नाराज होने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का साफ तौर से कहना है कि कहीं यह दांव पार्टी को उल्टा न पड़ जाय।

इन सबके बीच शनिवार को बीएसपी को एक और झटका लगा है। आजमगढ़ के दीदारगंज से एमएलए व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने राजनीति से सन्यास की घोषणा करते हुए बीएसपी पर कई गंभीर आरोप लगा दिए हैं। 

राजभर बीएसपी के कद्दावर नेता रहे हैं। वे पार्टी की हालिया रणनीति से आहत और खफा दिखे। उन्होंने बीएसपी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख को अलग-अलग चिट्ठी लिखकर कई बातें कहीं हैं। चिट्ठी में उन्होंने मायावती पर पिछड़ों और दलितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है तो अखिलेश यादव की तारीफ भी की है। यह भी कहा जा रहा है कि राजभर के बेटे जल्द ही साइकिल की सवारी करते हुए नजर आएंगे।

सुखदेव राजभर ने बीएसपी के मूवमेंट पर सवाल खड़े करते हुए सपा और अखिलेश यादव पर भरोसा जताया है। उन्होंने अखिलेश यादव की नीतियों की तारीफ भी की है।

बीएसपी के बड़े नेताओं में शुमार रहे सुखदेव राजभर बीएसपी के पिछड़ा वर्ग के बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते रहे हैं। राजभर 2007 में मायावती की सरकार में विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। सुखदेव राजभर कई बार कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। सुखदेव आजमगढ़ की दीदारगंज सीट से लगभग 3 दशकों से जीतते चले आ रहे हैं। उनका पार्टी का साथ छोड़ना बीएसपी के लिए एक बड़ा झटका कहा जा रहा है। 

बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उन्होंने एक भावुक पत्र की प्रति भेजते हुए लिखा है कि स्वार्थी तत्वों द्वारा बहुजन मूवमेंट को दिशाहीन किए जाने से वह बहुत आहत हैं। बसपा से राजभर समाज के मिशनरी लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय न होने का जिक्र करते हुए सुखदेव ने अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का भविष्य बताते हुए दलितों, पिछड़ों व राजभर समाज की सेवा के लिए खुद के बेटे कमलाकांत को उनके हवाले करने की घोषणा की है।

अब पार्टी के अंदर भी बीएसपी की रणनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तरफ जहां मायावती सतीश चंद्र मिश्रा के सहारे ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने में जुटी हैं वहीं दूसरी तरफ सुखदेव राजभर जैसे कद्दावर नेता का इस तरह से पत्र लिखना बीएसपी की रणनीति पर सवाल खड़े करता है। कहा जा रहा है कि जल्द ही अखिलेश यादव की मौजूदगी में सुखदेव राजभर के बेटे सपा ज्वाइन करेंगे।

खबर साभार : जनज्वार 
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