Assam-Mizoram border dispute : जानिए असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद की वजह क्‍या है

गुवाहाटी :असम और मिजोरम के बीच 49 साल से चल रहे सीमा विवाद ने सोमवार को उग्र रूप धारण कर लिया। दोनों राज्‍यों की सीमा पर सुरक्षाबलों और नागरिकों के बीच जमकर भिड़ंत हुई। असम के मुख्‍यमंत्री हिमंत बिस्‍वा सरमा ने बताया कि पड़ोसी मिजोरम के उपद्रवियों की ओर से की गई गोलीबारी में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई। वहीं, असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कछार के एसपी निंबालकर वैभव चंद्रकांत समेत कम से कम 50 पुलिसकर्मी गोलीबारी और पथराव में घायल हुए हैं। इस मुद्दे को लेकर मिजोरम के मुख्‍यमंत्री जोरमथंगा और हिमंत बिस्‍वा सरमा ट्विटर पर एक-दूसरे से भिड़ गए।
आइए, आपको बताते हैं कि असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद की वजह क्‍या है और यह कब से चल रहा है –

असम के लुशाई इलाके को बना दिया गया मिजोरम
वर्ष 1972 में केंद्र शासित प्रदेश और फिर वर्ष 1987 में मिजोरम एक राज्‍य के रूप में अस्तित्‍व में आया। तब से ही मिजोरम का असम के साथ सीमा विवाद चल रहा है। पहले असम के कछार जिले में जिस इलाके को लुशाई हिल्‍स के नाम से जाना जाता था, उसे ही मिजोरम का दर्जा दे दिया गया। वर्ष 1933 की अधिसूचना के माध्‍यम से लुशाई हिल्‍स और मणिपुर का सीमांकन किया गया था। मिजोरम का ऐसा मानना है कि यह सीमांकन वर्ष 1875 की अधिसूचना पर आधारित होना चाहिए। मिजो नेताओं का कहना है कि वर्ष 1933 में मिजो समाज से सलाह नहीं ली गई थी। इसलिए वे लोग इस अधिसूचना के खिलाफ है। दूसरी ओर, असम सरकार 1933 की अधिसूचना का पालन करती है।
हमारे 509 वर्गमील पर असम का कब्‍जा: मिजोरम
164.6 किलोमीटर लंबी अंतरराज्‍यीय सीमा मिजोरम और असम को सीमांकित करती है। मिजोरम के तीन जिले आइजल, ममित और कोलासिब असम के तीन जिलों करीमगंज, कछार और हैलाकांडी के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं। मिजोरम का दावा है कि उसके लगभग 509 वर्गमील इलाके पर असम का कब्‍जा है।

Honble ⁦@ZoramthangaCM⁩ ji , Kolasib ( Mizoram) SP is asking us to withdraw from our post until then their civilians won’t listen nor stop violence. How can we run government in such circumstances? Hope you will intervene at earliest ⁦@AmitShah⁩ ⁦@PMOIndia⁩ pic.twitter.com/72CWWiJGf3
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 26, 2021

आईएलपी प्रणाली से 4 राज्‍यों में सीमा विवाद
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली भी असम के साथ कम से कम चार राज्‍यों के सीमा विवाद का प्रमुख कारण है। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू है। इसके बिना बाहर का कोई शख्‍स इन राज्‍यों में नहीं पहुंच सकता। इसके अलावा वह परमिट में लिखी अवधि तक ही वहां रुक सकता है, लेकिन उन राज्‍यों के लोग बिना रोकटोक के असम में आवाजाही कर सकते हैं।
10 जुलाई को भड़क गई चिंगारी, यह था मामला
गत 10 जुलाई को यह सीमा विवाद का मुद्दा तब भड़क गया जब असम पुलिस ने अपनी जमीन पर कथित तौर पर अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान शुरू किया। जब असम सरकार की टीम मौके पर गई तो उस पर अज्ञात लोगों ने आईईडी से हमला कर दिया। मिजोरम-असम की सीमा पर अज्ञात बदमाशों की ओर से किसानों की आठ झोपड़ियां जला दिए जाने से तनाव पैदा हो गया। मिजोरम के आईजी (उत्तरी रेंज) लालबियाकथांगा खियांगते ने बताया कि विवादित क्षेत्र में ऐटलांग नदी के पास कम से कम आठ झोपड़ियों में रविवार की रात साढ़े 11 बजे आग लगा दी गई। इन झोपड़ियों में कोई नहीं था।
जून से ही जारी है मिजोरम-असम सीमा पर तनाव
आईजी ने बताया कि ये झोपड़ी असम के नजदीकी सीमावर्ती गांव वायरेंगटे के किसानों की है। खियांगते ने कहा कि झोपड़ी मालिकों की शिकायत पर वायरेंगटे थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। इससे पहले जून से मिजोरम-असम की सीमा पर तनाव जारी है, जब असम पुलिस ने वायरेंगटे से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐटलांग हनार इलाके पर कथित तौर पर नियंत्रण कर लिया और पड़ोसी राज्य पर इसकी सीमा का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया।
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