पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भारत के प्रथम आरआरटीएस कॉरिडोर द्वारा सार्वजनिक परिवहन के सबसे तेज़ माध्यम से कनेक्ट करने की तैयारी

लखनऊ में चल रहे “आजादी का अमृत महोत्सव” के अवसर पर ‘आज़ादी @75‘ एक्स्पो में एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस का लाभ दिखाते हुए मेक इन इंडिया के तहत कार्यों का प्रदर्शन किया

पश्चिमी यूपी के प्रमुख रीजनल नोड्स गाजियाबाद, मुरादनगर, मोदी नगर और मेरठ को भारत के सबसे तेज सार्वजनिक परिवहन माध्यम द्वारा दिल्ली से जोड़ने के लिए रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) का निर्माण किया जा रहा है। ‘न्यू अर्बन इंडिया कोंकलेव- ट्रांसफ़ार्मिंग अर्बन लैंडस्केप’ में आरआरटीएस के पवेलियन का दौरा करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने पश्चिमी यूपी क्षेत्र में हो रहे आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण कार्ये की प्रगति को देखा। इस दौरान उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्रीमति आनंदीबेन पटेल, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, माननीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA)  मंत्रि श्री हरदीप पूरी व डा. महेंद्र नाथ पांडे, माननीय केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री  वअन्य गणमान्य ने भी पवेलियन का अवलोकन किया। 

एनसीआरटीसी देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण में कई विश्वस्तरीय नवीनतम तकनीकों का उपयोग हो रहा है। इसके अलावा पूरे कॉरीडोर के निर्माण में ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को भी साकार किया जा रहा है जिसे आज से 7 अक्तूबर तक चलने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव, आजादी@75’ में प्रदर्शित किया जा रहा है।

एनसीआरटीसी मेरठ से दिल्ली तक भारत का पहला 82 किमी लंबा आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित कर रहा है जो दिल्ली से मेरठ के बीच के यात्रा के समय को 60 मिनट से भी कम कर देगा जिसे पूरा करने में 3-4 घंटे का समय लगता है। 180 किमी प्रति घंटे की डिज़ाइन गति और 100 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ, आरआरटीएस का उद्देश्य लोगों और स्थानों को करीब लाना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा और रोजाना 8 लाख यात्री इसमे यात्रा कर सकेंगे ।

इसके निर्माण से मेरठ और गाज़ियाबाद के साथ पश्चिमी यूपी के बहुत बड़े क्षेत्र के लोगों की पहुंच बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक आसान हो जाएगी। रैपिड रेल का लगभग 68 किमी लंबा हिस्सा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है, जिसमें 60.57 किमी एलिवेटेड और 8 किमी भूमिगत है। मेरठ में, मेरठ साउथ से मोदीपुरम तक, 21 किमी लंबे खंड में 13 स्टेशन हैं, जिन पर मेरठ मेट्रो की विश्व स्तरीय परिवहन सेवा स्थानीय निवासियों के लिए उपलब्ध होगी।

मेरठ में कुल 13 स्टेशनों में से 3 भूमिगत हैं और शेष 10 स्टेशन एलिवेटेड हैं। मेरठ के एलिवेटेड स्टेशन में मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी के बाद एमईएस कॉलोनी, दौराली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो हैं। ब्रह्मपुरी और एमईएस कॉलोनी के बीच 3 भूमिगत स्टेशन हैं – भैंसाली, मेरठ सेंट्रल और बेगमपुल।

मेरठ साउथ से साहिबाबाद तक, आरआरटीएस कॉरिडोर में लगभग 40 किमी लंबे स्ट्रेत्च में 8 एलिवेटेड स्टेशन हैं। ये स्टेशन मोदी नगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ, मुराद नगर, दुहाई और दुहाई डिपो, गुलधर, गाजियाबाद और साहिबाबाद में स्थित हैं।

आरआरटीएस कॉरिडोर पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय नोड्स को दिल्ली के करीब लाने के साथ तेज, सुरक्षित, विश्वसनीय, आरामदायक, कुशल, निर्बाध और टिकाऊ परिवहन का साधन बनेगा। आरआरटीएस में सबसे जरूरी है मल्टी-मोडल इंटीग्रेशन (एमएमआई) को लागू करना। आरआरटीएस स्टेशनों को हवाई अड्डे, भारतीय रेलवे स्टेशनों, अंतर-राज्यीय बस टर्मिनस, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों जैसे परिवहन के विभिन्न साधनों के साथ, जहां भी संभव हो, एकीकृत किया जाएगा। परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच निर्बाध एकीकरण यात्रियों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किमी के प्रायोरटी सेक्शन में गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई डिपो सहित सभी 5 स्टेशनों पर निर्माण कार्य उन्नत चरण में है। इस प्रायोरटी सेक्शन को मार्च 2023 तक और पूर्ण कॉरीडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य है।

आरआरटीएस के चरण -1 में तीन प्राथमिकता वाले कॉरिडोर शामिल हैं; दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरीडोर, दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर कॉरीडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरीडोर। सराय काले खां स्टेशन पर फेज 1 के प्राथमिकता वाले 3 आरआरटीएस कॉरिडोर के बीच इंटरऑपरेबिलिटी यात्रियों को ट्रेन को बदलने की परेशानी के बिना कॉरिडोर में निर्बाध आवागमन की सुविधा प्रदान करेगी। इस प्रकार से आरआरटीएस कई नेटवर्क का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करेगा जो इसके आस-पास के क्षेत्र में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यावरणीय लाभ लाएगा।

एनसीआरटीसी आरआरटीएस में विभिन्न मेक इन इंडिया पहल का प्रदर्शन कर रहा है;

– गुजरात के सावली में आरआरटीएस के लिए सभी (100%) ट्रेनसेट का निर्माण किया जा रहा है। ट्रेनसेट को ग्लोबल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर, हैदराबाद द्वारा डिजाइन किया गया है और ट्रेनों का प्रोपलशन सिस्टम भी देश में ही विकसित किया जा रहा है।

– एनसीआरटीसी ने देश में पहली बार आरआरटीएस कॉरिडोर में उपयोग की जाने वाली ‘ब्लास्टलेस ट्रैक तकनीक’ का स्वदेशीकरण किया है, जो 180 किमी प्रति घंटे की उच्च डिजाइन गति के लिए उपयुक्त है। एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस के लिए सर्वश्रेष्ठ ट्रैक तकनीक का चयन किया है और भारत में भविष्य के आरआरटीएस कॉरिडोर और अन्य रेल-आधारित प्रणालियों के लिए ब्लास्टलेस ट्रैक डिजाइन करने की क्षमता हासिल की है। आरआरटीएस ट्रैक उच्च प्रदर्शन का समर्थन करेंगे और कम रखरखाव की आवश्यकता होगी, इस प्रकार जीवन-चक्र की लागत कम हो जाएगी। एनसीआरटीसी अपने प्री-कास्ट ट्रैक स्लैब कारखानों में प्री-कास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण कर रहा है।

– एनसीआरटीसी द्वारा देश में पहली बार प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) विकसित किए गए हैं। अब इसका डिजाइन और निर्माण देश में ही किया जाएगा। पीएसडी आधुनिक परिवहन संरचना का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया है। ये स्टेशनों पर बेहतर भीड़ प्रबंधन में मदद करने के अलावा प्लेटफॉर्म/ट्रेन/ट्रैक और यात्रियों के बीच सुरक्षा अवरोध के रूप में कार्य करते हैं। ट्रेनों की तेज गति के कारण प्रत्येक आरआरटीएस स्टेशन पर पीएसडी लगाए जाएंगे और ट्रेन के त्वरित एक्सेलरेशन और डी-एक्सेलरेशन या तेज गति का प्रबंधन करेंगे। साथ ही, यह भूमिगत स्टेशनों में महत्वपूर्ण ऊर्जा खपत को बचाने में मदद करेगा।

लखनऊ में चल रहे “आजादी का अमृत महोत्सव” के अवसर पर ‘आज़ादी @75’ एक्स्पो में एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस का लाभ दिखाते हुए मेक इन इंडिया के तहत कार्यों का प्रदर्शन किया

पश्चिमी यूपी के प्रमुख रीजनल नोड्स गाजियाबाद, मुरादनगर, मोदी नगर और मेरठ को भारत के सबसे तेज सार्वजनिक परिवहन माध्यम द्वारा दिल्ली से जोड़ने के लिए रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) का निर्माण किया जा रहा है। ‘न्यू अर्बन इंडिया कोंकलेव- ट्रांसफ़ार्मिंग अर्बन लैंडस्केप’ में आरआरटीएस के पवेलियन का दौरा करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने पश्चिमी यूपी क्षेत्र में हो रहे आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण कार्ये की प्रगति को देखा। इस दौरान उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्रीमति आनंदीबेन पटेल, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, माननीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA)  मंत्रि श्री हरदीप पूरी व डा. महेंद्र नाथ पांडे, माननीय केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री  वअन्य गणमान्य ने भी पवेलियन का अवलोकन किया। 

एनसीआरटीसी देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण में कई विश्वस्तरीय नवीनतम तकनीकों का उपयोग हो रहा है। इसके अलावा पूरे कॉरीडोर के निर्माण में ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को भी साकार किया जा रहा है जिसे आज से 7 अक्तूबर तक चलने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव, आजादी@75’ में प्रदर्शित किया जा रहा है।

एनसीआरटीसी मेरठ से दिल्ली तक भारत का पहला 82 किमी लंबा आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित कर रहा है जो दिल्ली से मेरठ के बीच के यात्रा के समय को 60 मिनट से भी कम कर देगा जिसे पूरा करने में 3-4 घंटे का समय लगता है। 180 किमी प्रति घंटे की डिज़ाइन गति और 100 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ, आरआरटीएस का उद्देश्य लोगों और स्थानों को करीब लाना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा और रोजाना 8 लाख यात्री इसमे यात्रा कर सकेंगे ।

इसके निर्माण से मेरठ और गाज़ियाबाद के साथ पश्चिमी यूपी के बहुत बड़े क्षेत्र के लोगों की पहुंच बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक आसान हो जाएगी। रैपिड रेल का लगभग 68 किमी लंबा हिस्सा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है, जिसमें 60.57 किमी एलिवेटेड और 8 किमी भूमिगत है। मेरठ में, मेरठ साउथ से मोदीपुरम तक, 21 किमी लंबे खंड में 13 स्टेशन हैं, जिन पर मेरठ मेट्रो की विश्व स्तरीय परिवहन सेवा स्थानीय निवासियों के लिए उपलब्ध होगी।

मेरठ में कुल 13 स्टेशनों में से 3 भूमिगत हैं और शेष 10 स्टेशन एलिवेटेड हैं। मेरठ के एलिवेटेड स्टेशन में मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी के बाद एमईएस कॉलोनी, दौराली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो हैं। ब्रह्मपुरी और एमईएस कॉलोनी के बीच 3 भूमिगत स्टेशन हैं – भैंसाली, मेरठ सेंट्रल और बेगमपुल।

मेरठ साउथ से साहिबाबाद तक, आरआरटीएस कॉरिडोर में लगभग 40 किमी लंबे स्ट्रेत्च में 8 एलिवेटेड स्टेशन हैं। ये स्टेशन मोदी नगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ, मुराद नगर, दुहाई और दुहाई डिपो, गुलधर, गाजियाबाद और साहिबाबाद में स्थित हैं।

आरआरटीएस कॉरिडोर पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय नोड्स को दिल्ली के करीब लाने के साथ तेज, सुरक्षित, विश्वसनीय, आरामदायक, कुशल, निर्बाध और टिकाऊ परिवहन का साधन बनेगा। आरआरटीएस में सबसे जरूरी है मल्टी-मोडल इंटीग्रेशन (एमएमआई) को लागू करना। आरआरटीएस स्टेशनों को हवाई अड्डे, भारतीय रेलवे स्टेशनों, अंतर-राज्यीय बस टर्मिनस, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों जैसे परिवहन के विभिन्न साधनों के साथ, जहां भी संभव हो, एकीकृत किया जाएगा। परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच निर्बाध एकीकरण यात्रियों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किमी के प्रायोरटी सेक्शन में गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई डिपो सहित सभी 5 स्टेशनों पर निर्माण कार्य उन्नत चरण में है। इस प्रायोरटी सेक्शन को मार्च 2023 तक और पूर्ण कॉरीडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य है।

आरआरटीएस के चरण -1 में तीन प्राथमिकता वाले कॉरिडोर शामिल हैं; दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरीडोर, दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर कॉरीडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरीडोर। सराय काले खां स्टेशन पर फेज 1 के प्राथमिकता वाले 3 आरआरटीएस कॉरिडोर के बीच इंटरऑपरेबिलिटी यात्रियों को ट्रेन को बदलने की परेशानी के बिना कॉरिडोर में निर्बाध आवागमन की सुविधा प्रदान करेगी। इस प्रकार से आरआरटीएस कई नेटवर्क का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करेगा जो इसके आस-पास के क्षेत्र में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यावरणीय लाभ लाएगा।

एनसीआरटीसी आरआरटीएस में विभिन्न मेक इन इंडिया पहल का प्रदर्शन कर रहा है;

– गुजरात के सावली में आरआरटीएस के लिए सभी (100%) ट्रेनसेट का निर्माण किया जा रहा है। ट्रेनसेट को ग्लोबल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर, हैदराबाद द्वारा डिजाइन किया गया है और ट्रेनों का प्रोपलशन सिस्टम भी देश में ही विकसित किया जा रहा है।

– एनसीआरटीसी ने देश में पहली बार आरआरटीएस कॉरिडोर में उपयोग की जाने वाली ‘ब्लास्टलेस ट्रैक तकनीक’ का स्वदेशीकरण किया है, जो 180 किमी प्रति घंटे की उच्च डिजाइन गति के लिए उपयुक्त है। एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस के लिए सर्वश्रेष्ठ ट्रैक तकनीक का चयन किया है और भारत में भविष्य के आरआरटीएस कॉरिडोर और अन्य रेल-आधारित प्रणालियों के लिए ब्लास्टलेस ट्रैक डिजाइन करने की क्षमता हासिल की है। आरआरटीएस ट्रैक उच्च प्रदर्शन का समर्थन करेंगे और कम रखरखाव की आवश्यकता होगी, इस प्रकार जीवन-चक्र की लागत कम हो जाएगी। एनसीआरटीसी अपने प्री-कास्ट ट्रैक स्लैब कारखानों में प्री-कास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण कर रहा है।

– एनसीआरटीसी द्वारा देश में पहली बार प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) विकसित किए गए हैं। अब इसका डिजाइन और निर्माण देश में ही किया जाएगा। पीएसडी आधुनिक परिवहन संरचना का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया है। ये स्टेशनों पर बेहतर भीड़ प्रबंधन में मदद करने के अलावा प्लेटफॉर्म/ट्रेन/ट्रैक और यात्रियों के बीच सुरक्षा अवरोध के रूप में कार्य करते हैं। ट्रेनों की तेज गति के कारण प्रत्येक आरआरटीएस स्टेशन पर पीएसडी लगाए जाएंगे और ट्रेन के त्वरित एक्सेलरेशन और डी-एक्सेलरेशन या तेज गति का प्रबंधन करेंगे। साथ ही, यह भूमिगत स्टेशनों में महत्वपूर्ण ऊर्जा खपत को बचाने में मदद करेगा।
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