सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बाबू के बेटे नारायाण साईं के उम्मीदों पर फेरा पानी, जेल में रहेगा

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे नारायण साईं को दो सप्ताह के लिए बाहर आने की उसकी उम्मीदों पर बुधवार को पानी फेर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने गुजरात उच्चतम न्यायालय की एकल पीठ के 24 जून के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें नारायण को दो सप्ताह की ‘फर्लो’ (एक प्रकार की अवकाश) पर जेल से बाहर आने की अनुमति दी गई थी।

गुजरात सरकार ने इस फैसले को शीर्ष अदालत चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने 12 अगस्त को रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत के समक्ष गुजरात सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जेल प्रशासन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कैदी के तौर नराराण साईं का आचरण अच्छा नहीं था। उस पर गवाहों को धमकाने, मारने, सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशश करने, जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने जैसे अनेक संगीन आरोप हैं।

बलात्कार के एक अन्य मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम बाबू के बेटे नारायण साईं ने अपने बीमार पिता की सेवा के लिए उच्च न्यायालय से ‘फर्लो’ मांगी थी। सुनवायी के दौरान गुजरात सरकार ने कहा था कि आसाराम इलाज के बाद फिर जेल में बंद है। ऐसे में उसके बेटे साईं को ‘फर्लो’ की जरूरत भी नहीं है। नारायाण के वकील ने दलील देते हुए कहा था कि इसके लिए किसी कारण की जरूरत नहीं है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कैदी को एक निश्चित अवधि के बाद बिना किसी वजह के भी फर्लों की अनुमति दी जा सकती है लेकिन जेल प्रशासन की रिपोर्ट में साईं पर जिस प्रकार के गंभीर आरोप सामने आये हैं और इस आधार पर कैदी नहीं छोड़ा जा सकता।

नारायण साईं को 26 अप्रैल 2019 को सूरत की एक अदालत ने बलात्कार का दोषी ठहराया था। 2002 से 2005 के दौरान आसाराम बाबू के आश्रम में रह रही एक लड़की की शिकायत पर 2013 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसी साल दिसंबर में उसे हरियाणा के कुरुक्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था।
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