यूपी : आज से स्कूलों में लौटेगी रौनक, बरतनी होंगी ये सावधानियां

UP में 18 मार्च 2020 को कोरोना लॉकडाउन के कारण बंद हुए स्कूलों में सोमवार से फिर रौनक लौटेगी। स्कूलों में 16 अगस्त से 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। स्कूल अभी ट्रांसपोर्ट सुविधा शुरू नहीं करेंगे। स्कूल संचालकों के अनुसार जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक बसें नहीं चला सकते। तीसरी लहर आने की आशंका है, ऐसे में चंद दिनों बाद फिर स्कूल बंद करने पड़े तो दोगुना घाटा उठाना पड़ेगा। लॉकडाउन के कारण पहले ही स्कूलों के फंड खत्म हो चुके हैं। कक्षाएं शुरू करेंगे मगर यातायात सुविधा नहीं देंगे।

CIS से जुड़े ज्यादातर स्कूलों का फैसलाउत्तर प्रदेश में पब्लिक स्कूल संचालकों के बड़े संगठन कंफिडरेशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल (CIS) के बैनर तले 25 जिलों के 150 से अधिक स्कूल संचालकों ने यह फैसला किया है। संगठन के पदाधिकारी राहुल केसरवानी ने मीडिया को बताया कि डेढ़ साल बाद स्कूल खुल रहे हैं। अभी कोई भी पब्लिक स्कूल ट्रांसपोर्ट सुविधा शुरू करने की स्थिति में नहीं है। 16 अगस्त से केवल कक्षाएं शुरू होंगी, लेकिन बस और ऑटो बंद रहेंगे। स्कूल संचालकों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर का कोई भरोसा नहीं है, कब आ जाए। कई स्कूलों पर अपना ट्रांसपोर्ट है मगर अधिकांश स्कूल आउट सोर्स से बस ले रहे हैं। ऐसे में स्कूल जोखिम नहीं उठा सकते। सामाजिक दूरी का पालन करना जरूरी

बसें शुरू न करने का सबसे बड़ा कारण कोरोना नियमों का पालन करना है। स्कूल संचालकों को सख्त निर्देश हैं कि कोविड नियमों का पालन करना है। अगर बस में बच्चों को भेजा जाए तो सामाजिक दूरी का पालन करना यानी आधे बच्चे ही बस में जा सकते हैं। ऐसे में बस की शिफ्ट बढ़ेंगी और डीजल का खर्चा बढ़ेगा। अगर स्कूल बस फीस बढ़ाते हैं तो अभिभावक फीस देने को राजी नहीं हैं, सरकार ने भी फीस बढ़ाने से मना किया है। फीस न बढ़ाएं तो स्कूलों का घाटा है। अभिभावक भी बच्चों को बस में भेजने से घबरा रहे हैं। इसलिए स्कूलों में अभी यातायात सुविधा नहीं दी जाएगी।

2 शिफ्ट में चलाने हैं स्कूल, लेकिन बसें नहीं चला सकतेसीआईएस की पदाधिकारी डॉ. अनुपमा कहती हैं, स्कूल तो 2 शिफ्ट में चला लें, स्टाफ को मैनेज कर लें मगर बसों की शिफ्ट बढाना मुश्किल है। जब से स्कूल बंद हुए हैं तब से बसें खड़ी हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने आर्थिक तंगी के कारण बसों का मेंटेंनेस भी नहीं कराया है। बसें खराब हो चुकी हैं। दोबारा कुछ दिन के लिए बस शुरू करना, मतलब एक बस की पूरी सर्विसिंग कराना, जो बड़ा खर्चा है। इसलिए भी स्कूल इस खर्च से बच रहे हैं। जब हालात ठीक होंगे तो बसें शुरू करेंगे। UP के अधिकांश स्कूल बस चलाने के पक्ष में नहीं

सीआईएस के पदाधिकारी राहुल केसरवानी कहते हैं सीआईएस से यूपी के 25 जिलों के 1300 स्कूल जुड़े हैं। अमूमन हर स्कूल का फैसला अभी बस चलाने का नहीं है। 2020 में जब लॉकडाउन लगा था तब डीजल का दाम 64 रुपए था। तब एक बस का मासिक खर्च 2500 रुपया महीना आता था। 8 सीटर बस पर 5, 000 रुपया प्रतिमाह, 40 सीटर बस पर 3500 रुपया और 60 सीटर बस 2500 रुपया प्रतिमाह का खर्चा आता है। इसके बाद ड्राइवर, कंडक्टर की सैलरी अलग होती है। बस की मेंटीनेंस अलग है। आज डीजल 90 रुपए हो चुका है। ऐसे में बसों का खर्चा और बढ़ गया है। 15 महीने से बसें खड़ी हैं तो उनकी मेंटिनेंस भी बढ़ गई है। बसों के पार्ट्स खराब हो चुके हैं। एनजीटी ने मेरठ, एनसीआर में बसों की लाइफ 10 साल रखी है। 10 साल के अनुसार एक स्कूल बस 120 महीने चलती है इसमें 15 महीने से बस खड़ी हैं तो उनकी लाइफ और घट गई। बस का इंश्योरेंस पूरा जा रहा है।

50% अभिभावकों ने नहीं दी स्कूल जाने की मंजूरीसरकार ने भले लंबे समय बाद स्कूलों को खोलने की की मंजूरी दी है, मगर प्रदेश में अधिकांश स्कूलों में पैरेंट्स ने बच्चों को अभी स्कूल भेजने की मंजूरी नहीं दी है। पैरेंट्स के अनुसार बच्चे स्कूल गए तो कोरोना होना का खतरा है। हालांकि सरकार ने अभी 9वीं से 12वीं की कक्षाएं शुरू करने का आदेश दिया है। इस उम्र के छात्र समझदार होते हैँ, कोरोना नियमों का पालन करना जानते हैं। इसके बावजूद अभिभावकों को डर है कि बच्चे स्कूलों में सेफ नहीं हैं। स्कूलों ने कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करने की प्लानिंग कर ली है। पैरेंट्स को तस्वीरें भेजकर यकीन दिलाया जा रहा है, इसके बावजूद पैरेंट्स स्कूलों की तैयारियों से संतुष्ट नहीं हैं। स्कूल पैरेंट्स पर बच्चे को स्कूल भेजने का दवाब नहीं बनाएंगे, पैरलल ऑनलाइन क्लास जारी रखनी होगी, ताकि बच्चे की पढ़ाई न छूटे।

स्कूलों को करना होगा कोविड प्रोटोकॉल फॉलो. सामाजिक दूरी- अलग-अलग गेट से स्कूल में एंट्री, एग्जिट कराया जाएगा। एक साथ सारे बच्चे नहीं छोड़े जाएंगे। छुट्‌टी में गैप देकर क्लासेस को फ्री कराया जाएगा। लंच ब्रेक, असेंबली, स्पोर्टस एक्टिवटी, योग सेशन नहीं होंगे। ग्राउंड एक्टिविटी बंद रहेंगी। एक सीट पर एक छात्र बैठाया जाएगा। पानी, वॉशरूम के लिए एक बार में एक छात्र जाएगा या फिर उनकी व्यवस्था बढ़ानी होगी। कक्षाओं में आधे बच्चे बैठेंगे। 2 शिफ्ट में आधी क्षमता में स्कूल चलाया जाएगा। ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहेगी।

. सेनेटाइजेशन- हर क्लास से पहले फर्नीचर, क्लास सेनेटाइज करानी होगी। स्कूल शुरू होने से पहले पूरे कैम्पस में सेनेटाइजेशन होगा। दूसरी शिफ्ट शुरू होने से पहले सेनेटाइजेशन करना होगा। स्कूल में कई जगहों पर सेनेटाइजर रखना होगा। बच्चे स्कूल में एंट्री लेंगे तो गेट पर ही सेनेटाइजेशन कराया जाएगा।

. मास्क, ग्लव्ज, स्कैनिंग- स्कूल स्टाफ, टीचर्स ग्लव्ज में रहेंगे। बच्चों को मास्क मेंडेटरी होगा। स्कूल द्वारा बच्चों, स्टाफ को मास्क दिया जाएगा। क्लास में भी मास्क पहनकर बैठना होगा। गेट पर ही बच्चों की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी, तापमान नोट होगा फिर प्रवेश मिलेगा।

. हेल्थ अपडेट- छात्रों, स्टाफ, शिक्षकों सभी का हेल्थ रिकार्ड स्कूल को रोजाना मेंटेंन करना होगा। किसी बच्चे को बुखार, सर्दी, जुकाम होने पर घर भेजा जाएगा। उसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी जाएगी।
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