लखनऊ : शिक्षक भर्ती को लेकर प्रदर्शन कर रहे OBC-SC अभ्यर्थियों पर पुलिस का लाठीचार्ज
उत्तर प्रदेश में 69000 पदों पर चल रही शिक्षक भर्ती का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए सैकड़ों अभ्यर्थी मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास के पास पहुंच गए। अभ्यर्थी सीएम आवास जाने के लिए डटे थे। लेकिन पुलिस के प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। इसके बाद अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच तीखी बहस शुरू हुई तो कुछ लोग रोड पर बैठ गए। यह देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इससे मौके पर भगदड़ मच गई। करीब 6 अभ्यर्थी घायल हुए। जिनका इलाज करवाया गया है।
इस प्रकरण पर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने योगी सरकार पर तंज कसा है। कहा, ‘आरक्षण घोटाले के खिलाफ हक की लड़ाई लड़ रहे पीड़ित छात्रों की मांग सुनने की बजाय हजारों ओबीसी और एससी सीटों को लूटने वाली योगी सरकार उन पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज करवाती है, जो निंदनीय है। हर लाठी का हिसाब 2022 में भाजपा को चुकाना पड़ेगा।
वहीं NEET में ओबीसी आरक्षण बहाल करने की लड़ाई लड़ रहे मंडल चीफ आर्मी की गिरफ्तारी भाजपा की हिटलरशाही का जीता जागता उदाहरण है। कितनों को गिरफ्तार कर लो तानाशाही सरकार यह आंदोलन नहीं रुकेगा। भाजपा सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली पिछड़ों दलितों का विनाश करने पर लगी हुई है’।प्रदर्शनकारी अनूप कुमार ने बताया कि पुलिस गाड़ी में कहां ले जा रही, उन लोगों को नहीं पता। यहां तक की आंदोलन में शामिल लड़कियों को दूसरी जगहों पर ले जाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री ने 6 जुलाई को वार्ता कर चार दिन का समय मांगा था। लेकिन मामले में 14 दिन गुजर गए लेकिन सरकार ने कोई पहल नहीं की है।
सीएम से मांगा न्याय
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘योगी जी न्याय दो, शिक्षा मंत्री न्याय’ दो के नारे लगाए। इसमें बताया कि वह लोग इसको लेकर सीएम और राज्यपाल को भी पत्र लिख चुके हैं। लेकिन अभी तक उनकी मांगों को नजरअंदाज कर गलत तरीके से भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा है। कहा कि जल्द ही इसमें सुधार न हुआ तो हजारों प्रदर्शनकारी आंदोलन को उग्र करने को विवश होंगे। इसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।
अभ्यर्थियों के दो सवाल
69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 3.86 प्रतिशत आरक्षण क्यों? भर्ती में दलित वर्ग को 21 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 16.6 प्रतिशत आरक्षण क्यों?
अभ्यर्थियों की दो मांगें
आरक्षण नियमावली बेसिक शिक्षा विभाग उप्र 1994 का सही ढंग से पालन न होने की वजह से 15000 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए। संविधान से मिले आरक्षण के अधिकार 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत को पूरी तरह से लागू किया जाए।शिक्षा मंत्री का भी किया था घेराव
इससे पहले ओबीसी और एसई वर्ग के लोगों ने पिछले दिनों शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के घर का घेराव किया था। इनका आरोप था कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के नियम को फॉलो नहीं किया गया है। इसमें 6 लोगों का डेलिगेशन शिक्षा मंत्री से मिला भी था। उसमें प्रदर्शनकारियों ने बताया कि 15 हजार लोगों की नौकरी मारी जा रही है। मंत्री ने मामले में आयोग से चार दिन में रिपोर्ट मांगने की बात कही थी।
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