पढ़ाई पर लॉक डाउन के आफ्टर इफेक्ट्स : “सिलेबस को लेकर चकराए स्टूडेंट्स”

ज्ञान प्रकाशअवस्थी

कानपुर। कोरोना के कारण इस साल सभी बोर्ड्स के स्टूडेंट्स को 10वीं, 12वीं की परीक्षाओं से तो छूट मिल गयी है, लेकिन 9वीं से 10वीं क्लास और 11वीं से 12वीं में प्रोमोट हुए स्टूडेंट्स की आफत हो गयी है। एक तो स्कूल बंद, ऊपर से सिलेबस और किताबों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे ही कहीं सबसे अधिक प्रभावित ना हों…इस आशंका के चलते स्कूल तो क्या, कोचिंग संस्थान तक बंद ही पड़े हैं। स्कूल-कोचिंग नहीं जा पा रहे, टीचर्स की गाइडेंस नहीं मिल पा रही, ऊपर से बोर्ड द्वारा इंट्रोड्यूस किये गए नए विषय लेने वाले बच्चे और भी अधिक परेशान हैं। अनिश्चितता भरे हालात में स्टूडेंट्स एक दूसरे से वीडियो कॉल और सोशल मीडिया के माध्यम से ही डिस्कशन कर के अपनी परेशानियां बांट रहे हैं। पर नतीजा कुछ निकल नहीं रहा।

नये विषयों की तो किताबें तक नहीं आईं

रावतपुर निवासी, सनातन धर्म एजुकेशन स्कूल में 12वीं की छात्र आदित्य तिवारी कहते हैं की बोर्ड द्वारा इंट्रोड्यूस किया गया एप्लाइड मैथ्स जैसा नया सब्जेक्ट उन्होंने और कई सहेलियों ने लिया है। अब कॉमर्स लेने वाले सभी स्टूडेंट्स ने बताया कि आधा सेशन निकल गया, लेकिन मार्केट में अब तक इस सब्जेक्ट की किताबें तक नहीं आई हैं। बोर्ड कार्यालय ईमेल भीज-भेज कर, ट्वीट और मैसेज कर कर के थक गए, पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। ऐसे में एप्लाइड मैथ्स जैसे नए सब्जेक्ट का सिलेबस तक नहीं आता, इसकी परीक्षा कैसे देंगे ? नए सब्जेक्ट्स लेने वाले सभी स्टूडेंट्स का ये हाल है। किताबें तक नहीं आईं। पढ़ें कहां से?

“कोर्स को कम करें सभी बोर्ड, नहीं तो..!”

वहीं 12वीं में गये एक नामी स्कूल के स्टूडेंट अर्णव रस्तोगी, अंश जायसवाल और वैष्णवी सिंह का कहना है कि ईस सेशन के महीनों निकल गए घर पैट बैठे-बैठे ही…पफाई हुई नहरें, अब बचे समय मे आखिर कैसे स्कूलों मे पूरा सिलेबस कवर करवाया जा सकेगा? ऐसे हालात में बोर्ड को हर सब्जेक्ट का सिलेबस काम कर देना चाहिये। वतन टॉपर्स तक की परफॉर्मेन्स गड़बड़ा जाएगी।

क्लास रूम बिना कोर्स और पढ़ाई नहीं!

वहीं दक्ष गुप्ता, अमित शुक्ला, परिणीता, सान्या राजपाल आदि स्टूडेंट्स से जब इस संवाददाता ने पूछा कि क्या ऑनलाइन क्लासों में कोर्स कवर नहीं हुआ..?? इसपर ये बच्चे व्यंगात्मक तरीके से मुस्कुरा उठे। जैसे कहना चाह रहे हों कि ” ऑनलाइन क्लासेज तो केवल स्कूल वालों की फॉर्मेलिटी है, क्लासरूम स्टडीज में ही असली कोर्स कवर हो सकता है…”

उम्मीद है, स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत!

जानकारों का कहना है की बच्चों की वाजिब समस्याओं को समझकर सभी बोर्ड निदान ज़रूर करेंगे। कोरोना लॉकडाउन के कारण बोर्ड आफिस बंद रहे। एनसीईआरटी की कोई वर्किंग या बैठक ही नहीं हुई। ऐसे में नए सब्जेक्ट्स का कोर्स फाइनल डिसाइड नहीं हो पाया। प्रेसें बंद रहीं, लिहाज कोई किताबें छप ही नहीं सकीं। सब को ये दिख रहा है। इसलिए जल्द स्टूडेंट्स को राहत देने वाली घोषणाएं होंगी, ऐसी उम्मीद है।
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