आज से गुरु की गद्दी संभालेंगे बलवीर पुरी, पंच परमेश्वर करेंगे तिलक और सौंपेंगे जिम्मेदारी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की इच्छा के अनुसार उनकी षोडशी के दिन यानी आज 5 अक्टूबर को बलवीर पुरी को बाघंबरी गद्दी मठ का नया महंत बनाया जाएगा। सुबह 11 बजे पंच परमेश्वर और कई अखाड़ों के महामंडलेश्वर उनका तिलक कर महंतई की चादर ओढ़ाएंगे। इसके बाद उन्हें बाघंबरी गद्दी और लेटे हनुमान मंदिर की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।

पंच परमेश्वर की बैठक में तय हुआ था नाम

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालत में हुई मौत के ठीक 10 दिन बाद बिल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत बलवीर पुरी को बाघंबरी गद्दी का महंत घोषित किया गया था। यह घोषणा हरिद्वार में 30 अगस्त को हुई पंच परमेश्वर की बैठक में की गई थी। तय किया गया था कि 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरि की षोडशी के दिन उनकी चादर विधि होगी।श्री निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर बनेंगे साक्षी

अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज और सचिव रवींद्र पुरी की मौजूदगी में चादर विधि का कार्यक्रम होगा। श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी ने बताया कि जब किसी अखाड़े का नया उत्तराधिकारी घोषित किया जाता है, तो उसे चादर विधि से महंत बनाया जाता है। हमारे अखाड़ों की यही परंपरा रही है। जिस दिन अखाड़े के महंत की षोडशी होती है, उसी दिन नए महंत की चादर विधि भी करते हैं।

नरेंद्र गिरि ने तीन बार बदली थी वसीयत

नरेंद्र गिरि की मौत के बाद से ही उत्तराधिकार को लेकर तमाम कयास बाजी चल रही थीं। उन्होंने अपने वसीयतनामा में बलबीर पुरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। हालांकि, यह वसीयत तीन बार उन्होंने बदली थी। पहले नरेंद्र गिरि ने बलवीर पुरी को 2010 में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। 2011 में आनंद गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। बीते साल आनंद गिरि से विवाद होने के बाद उन्होंने 2 जून 2020 को बलबीर पुरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।कौन हैं बलवीर गिरि

बलवीर गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के करीबी शिष्यों में शामिल रहे।1998 में वह निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए।नरेंद्र गिरि से उनका संपर्क 2001 में हुआ। उस वक्त नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे।इसके बाद बलवीर गिरि ने अखाड़े में नरेंद्र गिरि से दीक्षा ग्रहण की और उनके शिष्य हो गए।धीरे-धीरे नरेंद्र गिरि के घनिष्ठ और विश्वासपात्र सहयोगी के तौर पर पहचान बनी।नरेंद्र गिरि जब निरंजनी अखाड़े की ओर से बाघंबरी गद्दी के पीठाधीश्वर बन कर प्रयागराज आए, तो बलवीर भी उनके साथ यहां आ गए।सहयोगी के तौर पर नरेंद्र गिरि ने बलवीर को जो भी जिम्मेदारी सौंपी, उसे उन्होंने पूरी कर्मठता और निष्ठा से निभाया।नरेंद्र गिरि उन पर पूरी तरह निर्भर थे और विश्वास करते थे। कुंभ और बड़े पर्व के दौरान अखाड़े व मठ की ओर से खर्च को आने वाले लाखों रुपए बलवीर के पास ही रखे जाते थे।ये रुपए बलवीर की देख-रेख में खर्च किए जाते थे। इस साल हुए हरिद्वार कुंभ के दौरान भी उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया।आनंद गिरि से विवाद और बढ़ती दूरी ने बलवीर गिरि को नरेंद्र गिरि का और करीबी बना दिया।
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