खटीमा में शहीद स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित करते सीएम धामी
खटीमा में शहीदों के परिजनों का शाल ओढ़ाकर सम्मानित करते सीएम धामी।
खटीमा में शहीद स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित करते सीएम धामी।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जननी है खटीमा की पवित्र भूमि: धामी
सीएम ने खटीमा गोलीकांड की 27वीं बरसी पर शहीदों को किया नमन, दस वर्षों में बनाएंगे शहीदों के सपनों का उत्तराखंड
भास्कर समाचार सेवा
खटीमा। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की प्राप्ति के लिए 1 सितंबर 1994 को हुए गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की 27वीं बरसी पर तहसील परिसर शहीद स्थल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित विभिन्न दलों ने शहीदों को पुष्पचक्र एवं फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। बुधवार को खटीमा गोलीकांड की 27वीं बरसी पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सासंद केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा, कैप्टन शेर सिंह दिगारी, दान सिंह रावत, नंदन सिंह खड़ायत, भगवान जोशी, हरीश जोशी आदि ने तहसील परिसर स्थित शहीद स्थल पर पहुंचकर शहीदों के चित्रों में पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सीएम धामी ने कहा कि 1 सितंबर 1994 को पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर हजारों लोगों का जनसैलाब सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण जुलूस निकाल रहा था, जिस पर असमाजिक तत्वों ने पथराव कर दिया। जुलूस में भगदड़ मच गई और पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज करते हुए आंदोलनकारियों पर गोली चलानी शुरू कर दी। पुलिस गोलीकांड में राज्य आंदोलन के लिए गोपी चंद, धर्मानंद भट्ट, प्रताप सिंह, भगवान सिंह, परमजीत सिंह, सलीम तथा रामपाल शहीद हो गए। आज उन शहीदों को सम्मानित कर मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। शहीदों के इस दिन को इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता। ये शहादत का दिन था।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण की जननी खटीमा की भूमि है। शहीदों के सपने को साकार कर दस वर्षों में एक आदर्श उत्तराखंड बनाया जाएगा। आंदोलनकारियों की मांगों पर घोषणा करते हुए कहा कि आंदोलनकारियों के पश्चात उनके आश्रितों को भी पेंशन देने, सरकारी अस्पतालों के साथ ही मेडिकल कॉलेज में निःशुल्क इलाज की सुविधा दी जाएंगी और साथ ही जो आंदोलनकारी सरकारी नौकरी में है और हाल ही में कोर्ट द्वारा उन्हें नौकरी से हटाये जाने के आदेश जारी हुए हैं, इस बारे में सरकार कोर्ट में मजबूत पैरवी करेंगी। आगामी वर्ष से शहीद दिवस पर होने वाला आयोजन सरकारी कार्यक्रम होगा। चिन्हीकरण से वंचित आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की समय सीमा 31 दिसंबर 2021 तक कर दी गई है।
शहीदों को श्रद्धांजलि देने वालों में विवेक सक्सेना, रमेश जोशी, दिगंबर कन्याल, मुकेश रोहिला, किशोर जोशी, जानकी गोस्वामी, कुशल सिंह कन्याल, शिवशंकर भाटिया, भूपेंद्र भंडारी, हरीश मथेला आदि मौजूद थे।
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