फेफड़ों को तेजी से संक्रमित करता है डेल्टा प्लस वेरिएंट, 12 राज्यों में सामने आए 51 मामले

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद सामने आए वायरस के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट ने लोगों और चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।देश के कुछ हिस्सों में इसके मामले भी सामने आ चुके हैं। केंद्र सरकार ने इसे चिंता बढ़ाने वाला वेरिएंट करार दिया है।इसी बीच दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने पर लोग किसी भी वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षित रहेंगे। 

क्या है ‘डेल्टा प्लस’ वेरिएंट?

सबसे पहले भारत में मिले कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) में अब एक और म्यूटेशन हुआ है। इस म्यूटेशन के साथ इसे ‘डेल्टा प्लस’ या ‘AY.1’ वेरिएंट के नाम से जाना जा रहा है।डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में K417N म्यूटेशन होने के बाद यह डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है।यह वेरिएंट अभी तक भारत समेत 12 देशों में पाया जा चुका है। यह एंटीबॉडी कॉकटेल से मिली सुरक्षा को चकमा देने में भी कामयाब हो रहा है।बयान

डेल्टा प्लस को खतरानक सिद्ध करने के लिए नहीं है पर्याप्त डाटा- गुलेरिया

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार डॉ गुलेरिया ने कहा, “डेल्टा प्लस वेरिएंट के अधिक खतरनाक होने और उसके अधिक मौतों का संभावित कारण बनने की प्रमाणिकता के लिए अभी पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं है। इसी तरह उसके इम्यूनिटी से बचने की शक्ति विकसित करने को लेकर भी अपेक्षित डाटा सामने नहीं आया है।”उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान स्थिति में यही हम कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हैं तो वायरस के सभी वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षित रहेंगे।”संभावना

कोरोना महामारी के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकती हैं वैक्सीन की मिक्स खुराकें- गुलेरिया

गुलेरिया ने कहा, “वैक्सीन की मिक्स खुराकों पर भी अधिक डाटा की आवश्यकता है, क्योंकिअध्ययनों से पता चलता है कि यह प्रभावी हो सकता है।”हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की मिक्स खुराकों की नीति बनाने और उसे आजमाने से पहले इस पर पर्याप्त डाटा की आवश्यकता है। इसके बाद ही इस ओर कदम बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि वर्तमान में महामारी के खिलाफ मिक्स खुराकों को लेकर कई तरह के अध्ययन जारी है।अध्ययन

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने किया है मिस्क खुराकों पर अध्ययन

बता दें कि हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में मिक्स खुराकों पर अध्ययन किया गया था। इसमें सामने आया था कि एस्ट्राजेनेका और फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीनों की बारी-बारी से खुराक खुराक देने पर वह SARs-CoV-2 के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करती है।इस अध्ययन में शोधकर्ता बूस्टर खुराक की जगह मुख्य वैक्सीनेशन में ही अलग-अलग वैक्सीनों की खुराक देने की उपयोगिता साबित करने पर बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं।हालात

12 राज्यों में सामने आए डेल्टा प्लस वेरिएंट के 51 मामले

बता दें डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान 11 जून को की गई थी। यह पहली बार भारत में मिले डेल्टा वेरिएंट का म्यूटेंट है। अब तक 12 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं।भारत में महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, तमिलनाडु, कर्नाटक और ओडिशा सहित 12 राज्यों में 45,000 सैंपलों की जांच में से 51 में इस वेरिएंट की पुष्टि हो चुकी है। इसके कारण महाराष्ट्र में फिर से सख्ती बरतना शुरू कर दिया गया है।बयान

फेफड़ों को तेजी से संक्रमित करता है डेल्टा प्लस वेरिएंट- डॉ अरोड़ा

वैक्सीनेशन पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट को भले ही इंसोनों के फेफड़ों को अधिक संक्रमित करने वाला पाया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है या इसकी संक्रमण दर अधिक है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार वायरस का जितना अधिकर प्रसार होगा, उतना ही उसके म्यूटेशन की संभावना अधिक होगी।
The post फेफड़ों को तेजी से संक्रमित करता है डेल्टा प्लस वेरिएंट, 12 राज्यों में सामने आए 51 मामले appeared first on Dainik Bhaskar | Uttar Pradesh News, UP Dainikbhaskar.

Related Articles

Back to top button